
भारत-चीन के बीच तनाव,चीन ने भारतीय जवानों को हिरासत में लेने के बाद छोड़ा जाने पूरी ख़बर क्या है सच ..
नई दिल्ली भारतीय गश्ती दल इस सप्ताह के शुरू में पैंगोंग में चीनी सेना के साथ हाथापाई पर उतर आया था. इसके बाद चीन का हाई वोल्टेज ड्रामा हुआ. भारतीय जवानों को चीनी जवानों ने हिरासत में ले लिया था. लेकिन फिर बाद में रिहा कर दिया गया था.इस विवाद को लेकर एक लम्बी संचार श्रृंखला है जो प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक पहुंच गई है. उसमें इस सिलसिले में भारतीय एजेंसियों ने सारे घटनाक्रम का उल्लेख किया है. PMO को भेजी गई इस रिपोर्ट में लिखा है कि जिस पेट्रोल पार्टी को डिटेन किया गया था उसमें सेना और आईटीबीपी के जवान शामिल थे. विवाद बढ़ जाने के बाद दोनों पक्षों के कमांडरों की एक बैठक सीमा बुलाई गई और फिर स्थिति को शांत किया गया.लद्दाख रणनैतिक रूप से कितना महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सेनाध्यक्ष जनरल नरवणे ने अपना पहला दौरा ही इस साल जनवरी में सियाचिन का किया था. लद्दाख के कुछ इलाके पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है और कुछ हिस्सों पर चीन ने कब्जा किया हुआ है. गलवान नदी काराकोरम पहाड़ से निकलकर अक्साइ चीन के मैदानों से होकर बहती है जिसपर चीन का अवैध कब्जा है. “पिछले बुधवार को स्थिति बहुत अस्थिर हो गई जब भारतीय जवानों और चीनी सेना के बीच हाथापाई के बाद हमारे कुछ जवानों को हिरासत में ले लिया गया. लेकिन बाद में उन्हें छोड़ दिया गया.” उनके अनुसार आईटीबीपी के जवानों के इस हाथापाई में हथियार भी छीन लिए गए थे. उन्होंने कहा, “लेकिन आखिरकार हथियारों को भी वापस सौंप दिया गया. हमारे जवान भी वापस आ गए.”चीन पहले ये मानता रहा कि उसका इलाका नदी के पूर्व तक ही है लेकिन 1960 से उसने इस दावे को नदी के पश्चिमी किनारे तक बढ़ा दिया. जुलाई 1962 में गोरखा सैनिक के एक प्लाटून ने जब गलवान घाटी में अपना कैंप लगाया तो चीनी सेना ने उसे घेर लिया. ये 1962 के युद्ध की सबसे लंबी घेरेबंदी थी जो 22 अक्टूबर तक जारी रही जब चीनी सेना ने भारी गोलाबारी कर पोस्ट को तबाह कर दिया.
युद्ध के बाद भी चीनी सेना उसी सीमा तक वापस गई जो उसने 1960 में तय की थी यानि अवैध कब्जा बरकरार रखा. अब गलवान घाटी में चीन दोबारा वही दोहरा रहा है जो उसने 1962 में किया था यानि घुसपैठ और उसके बाद इलाके को अपना साबित करने के लिए कूटनीतिक दुष्प्रचार.
हरकतें गलवान घाटी के अलावा दूसरी जगहों पर भी जारी रहीं लेकिन छोटे स्तर पर जिससे भारत का ध्यान बंटा रहे. 5-6 मई की रात लद्दाख की पेंगांग झील के पास दोनों देशों के सैकड़ों सैनिकों के बीच भिड़ंत हुई जिसमें दोनों ओर के सैनिक घायल हुए. सूत्रों के मुताबिक दोनों ओर से लोहे की रॉड, डंडों और पत्थरों का जमकर इस्तेमाल किया गया.
By NDTV