
क्या होते हैं माइक्रोवेव वेपंस? क्या सच में चीन ने भारतीय सैनिकों पर इसी के इस्तेमाल का दावा किया है,
भारत-चीन के बीच तनाव को लेकर एक चीनी प्रोफेसर ने अजीब दावा किया। चीन की रेनमिन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के एसोसिएट डीन जिन केनरॉन्ग का कहना है कि चीन ने 29 अगस्त को लद्दाख में भारतीय सैनिकों के खिलाफ माइक्रोवेव हथियारों का इस्तेमाल किया था। जिन का दावा है कि 15 मिनट में ही भारतीय सैनिक उल्टियां करने लगे और चोटियों को छोड़कर चले गए। हालांकि, भारतीय सेना ने इस दावे को खारिज कर दिया है। सेना ने ऐसी खबरों को गलत बताया है।
डायरेक्ट एनर्जी वेपंस
दरअसल, माइक्रोवेव वेपंस को डायरेक्ट एनर्जी वेपंस भी कहा जाता है। इसके दायरे में लेजर और माइक्रोवेव वेपंस दोनों ही आते हैं। इस तरह के वेपंस बेहद घातक होते हैं। हालांकि, इस तरह के वेपंस से किए गए हमलों में शरीर के ऊपर बाहरी चोट के निशान या तो होते नहीं हैं या काफी कम होते हैं। लेकिन ये शरीर के अंदरूनी हिस्सों को खासा नुकसान पहुंचाते हैं। दक्षिण चीन सागर में रॉयल आस्ट्रेलियन एयरफोर्स के पायलट इस तरह के हमले से दो चार हो चुके हैं। इस तरह के हमलों की एक बेहद खास बात ये होती है कि ये जमीन से हवा में, हवा से जमीन में या जमीन से जमीन में किए जा सकते हैं। इस तरह के हमले में एक हाई एनर्जी रेज को छोड़ा जाता है। ये किरणें इंसान के शरीर में प्रविष्ट कर उनके शरीर के हिस्सों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
मिसाइल रोकने में भी सक्षम
माइक्रोवेव वेपंस को कई तरह की बैलेस्टिक मिसाइल, हाइपरसोनिक क्रुज मिसाइल, हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल को रोकने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। रूस, चीन, भारत, ब्रिटेन भी इस तरह के हथियारों के विकास में लगे हैं। वहीं, तुर्की और ईरान का दावा है कि उनके पास इस तरह के हथियार मौजूद हैं। तुर्की का तो यहां तक का दावा है कि उसने अगस्त 2019 में इस तरह के हथियार का इस्तेमाल लीबिया में किया था। हालांकि, एक तथ्य ये भी है कि इस तरह के हथियार अभी तक केवल प्रयोग तक ही सीमित हैं। माइक्रोवेव वैपंस के अंदर पार्टिकल बीम वैपन, प्लाज्मा वेपन, सॉनिक वेपन, लॉन्ग रेंज एकॉस्टिक डिवाइस भी आते हैं।
क्या इससे सिर्फ इंसानों को ही खतरा है?
नहीं। इन हथियारों से इलेक्ट्रॉनिक और मिसाइल सिस्टम को भी नुकसान पहुंचाया जा सकता है। दुश्मन के राडार, कम्युनिकेशन और जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली को खराब करने के लिए इस तरह के माइक्रोवेव हथियार ड्रोन या क्रूज मिसाइलों पर रखे जा सकते हैं।
क्या चीन ने वाकई हमारे सैनिकों पर इससे हमला किया?
इस बात का कोई सबूत नहीं है। भारतीय सेना पहले ही इस दावे को नकार चुकी है। हालांकि, चीन की रेनमिन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के एसोसिएट डीन जिन केनरॉन्ग ने ये दावा किया है।
Media articles on employment of microwave weapons in Eastern Ladakh are baseless. The news is FAKE. pic.twitter.com/Lf5AGuiCW0
— ADG PI – INDIAN ARMY (@adgpi) November 17, 2020
रक्षा मामलों के जानकार और इंडियन डिफ़ेंस रिव्यू के एसोसिएट एडिटर कर्नल दानवीर सिंह कहते हैं कि चीन का दावा पूरी तरह से बेबुनियाद है.सिंह कहते हैं, “इस तरह के सभी हथियार लाइन-ऑफ-साइट यानी एक सीधी रेखा में काम करते हैं. पहाड़ी इलाकों में इनका इस्तेमाल वैसे भी आसान नहीं है. ये बिलकुल लॉजिकल चीज नहीं है. ये पूरी तरह से एक चीनी प्रोपेगैंडा है.”