
दुनिया भर में 10 सबसे शक्तिशाली खुफिया एजेंसियां जाने भारत कितना है ताकतवर।.
आज एक राष्ट्र न केवल अपनी सेना पर बल्कि बाहरी और आंतरिक खतरों का मुकाबला करने के लिए अपनी खुफिया एजेंसियों पर निर्भर है। ये खुफिया एजेंसियां आपके सभी रहस्यों को जानती हैं और यही वह तथ्य है जो उन्हें इतना खतरनाक बनाता है। इन एजेंसियों में काम करने वाले लोग और तरीके आम लोगों को पता नहीं होते हैं. आगे जाानिए दुनिया की 10 सबसे शक्तिशाली खुफिया एजेंसियों के बारे में, जिनके नाम से ही दुश्मनों की कांप जाती है
यहां दुनिया भर में सबसे अधिक भयभीत खुफिया एजेंसियां हैं।
RAW: रिसर्च एंड एनालिसिस विंग(रॉ) INDIA
RAW की स्थापना 1968 में की गई थी. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है. रॉ विदेशी मामलों, अपराधियों, आतंकियों के बारे में पूरी जानकारी रखती है. इंटेलिजेंस ब्यूरो(आईबी) भी देश की सुरक्षा के लिए काम करती है. इन दोनों एजेंसियों ने मिलकर कई बड़े आतंकी हमलों को नाकाम किया है.रॉ का मुख्य काम सरकार को पड़ोसी देशों की गतिविधियों से अवगत कराना है। विशेषकर चीन, पाकिस्तान के बारे में। बांग्लादेश के निर्माण में 1971 में रॉ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यही नहीं रॉ की ही बदौलत भारत सरकार ने पूर्ण गोपनीयता से परमाणू परीक्षण किया था। रॉ ने ही पाकिस्तान के मुख्य परमाणु हथियार प्रयोगशाला, कहुटा के बारे में सबसे पहले भारत को अवगत कराया था। पाकिस्तानी सरकार और आर्मी के बीच होने वाली कॉल को रॉ के द्वार ही इटरसेप्ट किया जाता है।
ISI: इंटर सर्विस इंटेलिजेंस (आईएसआई) पाकिस्तान
आईएसआई की स्थापना 1948 में की गई थी.पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी है. अमेरिकी क्राइम रिपोर्ट के मुताबिक, आईएसआई को सबसे ताकतवर एजेंसी बताया गया था. इसका मुख्यालय इस्लामाबाद में हैवैसे तो यह एक तरह से सरकार की ही बॉडी है लेकिन सेना और सरकार सब आईएसआई के नीचे काम करते हैं।अफगानिस्तान में सोवियत संघ की हार के पीछे आईएसआई का हाथ माना जाता है। जो आईएसआई की सबसे बड़ी जीतों में से एक हैं।
CIA: सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी अमेरिका USA
सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) अमेरिका की बहुचर्चित खुफिया एजेंसी है. इसकी स्थापना 1947 में तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी ए ट्रूमैन ने की थी. सीआईए चार हिस्सों में बंटी हुई है. इसका मुख्यालय वाशिंगटन के पास वर्जीनिया में स्थित है. सीआईए डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस को रिपोर्ट करती है. 2013 में वाशिंगटन पोस्ट ने सीआईए को सबसे ज्यादा बजट वाली खुफिया एजेंसी बताया था. साइबर क्राइम, आतंकवाद रोकने समेत सीआईए देश की सुरक्षा के लिए काम करती है. दुनिया में अमेरिका के सुपरपॉवर बने रहने के पीछे सीआईए की महत्वपूर्ण भूमिका है।
MI6: मिलिट्री इंटेलिजेंस सेक्शन-6 (MI6) यूनाइटेड किंगडम UK
मिलिट्री इंटेलिजेंस सेक्शन-6 यूनाइटेड किंगडम की खुफिया एजेंसी है. सबसे पुरानी खुफिया एजेंसियों में से एक MI6 की स्थापना 1909 में की गई थी. MI6 ज्वाइंट इंटेलिजेंस, डिफेंस, सरकार के साथ जानकारी साझा करने जैसे काम करती है. देश की संस्थाओं पर नजर रखने का काम भी MI6 के जिम्मे है.एमआई6 ने प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान भी कई सारे मिशन को सफलता पूर्वक अंजाम दिया था। यह भी माना जाता है कि दोनों विश्व युद्धों में ब्रिटेन की जीत का कारण उसकी खूफिया एजेंसी एमआई6 ही है। इसी एजेंसी ने न केवल ब्रिटेन को जर्मनी के हांथो से दूर रखा बल्कि हिटलर को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
MSS: मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सेफ्टी चीन
चीन की खुफिया एजेंसी मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सेफ्टी(MSS) को 1983 में बनाया गया था. इस एजेंसी के जिम्मे काउंटर इंटेलिजेंस ऑपरेशंस और विदेशी खुफिया ऑपरेशन्स को चलाना है.राजधानी चीन में इसका हेडक्वॉर्टर है। यह एजेंसी आंतरिक और बाहरी दोनों मामलों को देखती है। यह एजेंसी चीन को वैश्विक गतिविधियों से भी अवगत कराती रहती है। कम्युनिस्ट पार्टी की लोकप्रियता को बनाए रखने के लिए यह एजेंसी देश के आंतरिक मामलों में भी दखल देती है।
BND: जर्मनी की खुफिया एजेंसी
जर्मनी की खुफिया एजेंसी Bundesnachrichtendienst को 1956 में गठित किया गया था. बीएनडी को दुनिया की सबसे बेहतरीन खुफिया और आधुनिक तकनीकों से लैस एजेंसी माना जाता है. इसका मुख्यालय म्यूनिख के पास पुलाच में है. यह एजेंसी 1956 में गठित हुई थी। तकनीकि मामलों में यह एजेंसी दुनिया की बेस्ट इंटेलीजेंस एजेंसी है। इसकी निगरानी प्रणाली को विश्व स्तर पर सबसे अच्छा माना जाता है। यह अपनी तकनीकि की विशेषता के कारण जर्मनी को या तो खतरे से पहले ही अवगत करा देती है या फिर उसे नष्ट कर देती है। जब मध्य पूर्व और लैटिन अमेरिका के बारे में जानकारी हासिल करनी हो तो शायद ही कोई ऐसी इंटेलीजेंस एजेंसी हो जिसे हरा पाए।
ASIS: ऑस्ट्रेलियन सीक्रेट इंटेलिजेंस सर्विस (एएसआईएस) ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलियन सीक्रेट इंटेलिजेंस सर्विस (एएसआईएस) ऑस्ट्रेलिया की खुफिया एजेंसी है. इसकी स्थापना 13 मई 1952 को की गई थी. इसका मुख्यालय ऑस्ट्रेलिया के केनबरा में स्थित है. एएसआईएस की तुलना अमेरिका के सीआईए और यूके की खुफिया एजेंसी एमआई-6 से की जाती है. इस एजेंसी का पहली बार वर्ष 1975 में ऑस्ट्रेलियाई संसद में उल्लेख किया गया था और सार्वजनिक रूप से वर्ष 1977 में ही स्वीकार कर लिया गया था।अस्ट्रेलिया हमेशा ही अंतराष्ट्रीय संकटों से दूर रहा है। इसके पीछे की एक वजह है इसकी इंटेलीजेंस एजेंसी। यह सबसे कुशल खुफिया एजेंसियों में से एक है इसकी मुख्य कार्यक्षेत्र एशिया महाद्वीप और प्रशांत क्षेत्रहै। इसके एजेंट दुनियाभर में हैं। यह एजेंसी इतनी गोपनीयता से काम करती है कि इसकी ज्यादातर एक्टिविटी के बारे में खुद अस्ट्रेलियन नागरिक व सरकार को पता नहीं होता।
FSB: फेडरल सिक्योरिटी सर्विस (एफएसबी) रूस
FSB: फेडरल सिक्योरिटी सर्विस रूस की खुफिया एजेंसी है. इसकी स्थापना 12 अप्रैल 1995 को हुई थी. एफएसबी का मुख्यालय मॉस्को में है. खुफिया से जुड़े मामलों के अलावा एफएसबी बॉर्डर से जुड़े मामलों पर भी गहरी नजर रखती है. यह रूस की मुख्य इंटेलीजेंस एजेंसी है। सोवियत संघ के पतन से पहले देश की मुख्य खुफिया एजेंसी केजीबी थी। यह एजेंसी केवल विदेशी गतिविधियों पर काम करती है। यह माना जाता है कि सोवियत संघ के पतन के बाद इस एजेंसी ने ही रूस को एक बार फिर सुपरपॉवर देशों के लिए बड़ी चुनौती बना दिया। इसका महत्व उस वक्त और बढ़ गया जब बोरिस येल्तसिन ने वर्ष 1996 में केजीबी को बंद कर दिया था।
MOSSAD: (मोसाद ) इजराइल
MOSSAD: (मोसाद ) सभी खुफिया एजेंसियों की गॉडफादर की तरह हैमोसाद इजराइल की खुफिया एजेंसी MOSSAD को दुनिया की सबसे बेहतरीन खुफिया एजेंसियों में गिना जाता है. MOSSAD की स्थापना 1949 की गई थी. MOSSAD मुख्यत: आतंकी विरोधी घटनाओं को अंजाम देती है और सीक्रेट ऑपरेशंस चलाती है, जिसका उद्देश्य देश की रक्षा करना होता है.इसके बारे में कहा जाता है कि आज तक इसके सभी ऑपरेशन सफल हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि मोसाद के कारण ही इजराइल की धाक आज भी पूरी दुनिया में है। प्रसिद्ध एंतेब्बे रेस्क्यू के दौरान मोसाद के सभी एजेंट युगांडा आर्मी की ड्रेस पहने हुए थे, इनमें से इडली अमिन नाम का एजेंट तो युगांडाके प्रसीडेंट के भेष में था। दरअसल युगांडा ने कई इजराइलियों को बंदी बना लिया था जिन्हें छुड़ाने के लिए मोसाद मे यह ऑपरेशन चलाया था। युगांडा के राष्ट्रपति की नकल किए हुए अमीन के काफिले को उन्होंने बड़ी धूम-धाम से निकाला था। लोगों को लगा कि यह वाकई में युगांडा के राष्ट्रपति हैं लेकिन थोड़ी ही देर में उन्होंने सभी इजराइलियों को छुड़ा लिया और युगांडा के कई सारे विमान नष्ट कर दिए थे। यही नहीं जब 1972 के म्यूनिख ओलंपिक के दौरान इजराइल के 11 एथलीट्स को एक आतंकी समूह ने मारा था तब भी मोसाद ने उनका बदला लिया था और एक-एक आतंकी को चुन-चुनकर मारा।
DGSE (जनरल डॉक्टोरेट फॉर एक्सटर्नल सिक्योरिटी), फ्रांस
DGSE: Directorate General for External Security (DGSE) फ्रांस की इंटेलिजेंस एजेंसी है. DGSE को 1982 में बनाया गया था, जिसका मकसद फ्रांस सरकार के लिए विदेशों से खुफिया जानकारी एकत्र करना था. DGSE का मुख्यालय पेरिस में है.फ्रेंच राजस्व का बड़ा हिस्सा इस एजेंसी को जाता है। 5000 से ज्यादा कर्मचारी इसके अंतर्गत काम करते हैं। यह देश को विभिन्न आतंकी खतरों के बारे में सूचना देती है। खासकर आईएसआईएस के बारे में फ्रांस को सचेत रखने का काम करती है। अल्जीरिया और अरब आतंकवादियों के टार्गेट पर रहने वाले फ्रांस को इस एजेंसी ने कई मौकों पर सफलता दिलाई है। यह एजेंसी फ्रांसीसी पुलिस बल के साथ कदम से कदम मिलाकर काम करती है।