
कलिंग शैली अद्भुत उत्कृष्ट नक्काशी में निर्मित कोणार्क सूर्य मंदिर उडीसा,
हिंदू धर्म में सूर्य को प्रत्यक्ष देव के रुप में माना जाता है। देवताओं में एकमात्र सूर्य ही हैं जिन्हें हम साक्षात देख कर पूजा कर सकते हैं। सूर्यदेव की किरणें हर व्यक्ति के लिए बहुत ही जरुरी है उनके बिना जीवन असंभव है। सूर्यदेव के भारत में अनेकों मंदिर हैं। उन्हीं मंदिरों में से एक मंदिर उड़ीसा के कोणार्क का सूर्य मंदिर। भारत के 7 आश्चर्यों में भी शामिल यह सूर्य मंदिर भव्य रथ के आकार में बना हुआ है। माना जाता है की मंदिर का निर्माण पूर्वी गंगा साम्राज्य के महाराजा नरसिंहदेव ने 1250 सी.ई में करवाया था। मंदिर की दीवारें, पिल्लर और पहिये बहुत ही किमती धातुओं से बने हुए हैं। यह मंदिर बेहद खूबसूरत और भव्य है। यहां पर दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। यहां की सूर्य मूर्ति को पुरी के जगन्नाथ मंदिर में सुरक्षित रखा गया है। ऐसे में इस मंदिर में कोई भी देव मूर्ति मौजूद नहीं है। यह मंदिर समय की गति को दर्शाता है।यह मंदिर अपनी अनोखी बनावट व खूबसूरती के कारण UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साईट में शामिल है।
किसने किया था कोर्णाक सूर्य मंदिर का निर्माण:
सूर्य मंदिर का निर्माण राजा नरसिंहदेव ने 13वीं शताब्दी में करवाया था। अपने विशिष्ट आकार और शिल्पकला के लिए यह मंदिर पूरे विश्व में जाना जाता है। यह मंदिर अपने विशिष्ट आकार और शिल्पकला के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। मान्यता है कि मुस्लिम आक्रमणकारियों पर सैन्यबल की सफलता का जश्न मनाने के लिए राजा नरसिंहदेव ने कोणार्क में सूर्य मंदिर का निर्माण कराया था। लेकिन 15वीं शताब्दी में मुस्लिम सेना ने यहां लूटपाट मचा दी थी। इस समय सूर्य मंदिर के पुजारियों ने यहां स्थापित मूर्ति को पुरी में ले जाकर रख दिया था। लेकिन मंदिर नहीं बच सका। पूरा मंदिर काफी क्षतिग्रस्त हो गया था। फिर धीरे-धीरे मंदिर पर रेत जमा होती रही और मंदिर पूरा रेत से ढक गया। फिर 20वीं सदी में ब्रिटिश शासन के अंतर्गत रेस्टोरेशन का काम हुआ और इसी में सूर्य मंदिर खोजा गया।
यूनेस्को द्वारा मिली मान्यता
कलिंग (Kalinga) शैली में निर्मित यह मंदिर अपनी अद्भुत स्थापत्य कला व पत्थरों पर की गई उत्कृष्ट नक्काशी से हर किसी को आश्चर्य में डाल देता है. इन सभी विशेषताओं के कारण वर्ष 1984 में यूनेस्को (UNESCO) ने इसे विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) के तौर पर सम्मानित किया था.
आज भी सुनाई देती है पायलों की झंकार
कुछ स्थानीय लोगों के अनुसार, आज भी इस मंदिर में पायलों की हल्की सी झंकार सुनाई देती है. पुराने समय में सूर्य देव की आराधना के तौर पर नर्तकियां नृत्य किया करती थीं, जिनकी पायलों की आवाज आज भी प्रांगण में सुनाई देती है.
कैसे पहुंचे कोणोर्क मंदिर
कोणार्क उडीसा राज्य में स्थित है। भुवनेश्वर और पुरी जैसे प्रमुख शहरों से कोणार्क सड़क द्वारा जुडा हुआ है। आइए जानते है कि कोणार्क कैसे पहुंच सकते है। हवाई मार्ग: अगर आफ हवाई जहाज के द्वारा जाते है, तो आप भुवनेश्वर हवाई अड्डे तक पहुंच सकते है, जहाँ से कोणार्क मात्र 64 किमी. दूर है। रेल मार्ग: कोणार्क के आसपास कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। अगर आप रेल द्वारा जा रहे है, तो आपको पुरी रेलवे स्टेशन पर उतरना होगा और इस रेलवे स्टेशन से कोणार्क 31 किमी. दूर है।
कैसे पहुचें – How To Reach
पता 📧
Konark Puri Odisha
सड़क/मार्ग 🚗
Konark Road / Puri-Konark Marine
रेलवे 🚉
Puri Railway Station
हवा मार्ग ✈
Biju Patnaik International Airport, Bhubaneswar
नदी ⛵
Chandrabhaga
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