
अपनी जान पर खेलकर चूहे ने बचाई लाखों लोगों की जान,चूहे को दिया वीरता पुरस्कार,(गोल्ड मेडल)..
मगावा नाम के चूहे ने गोल्ड मेडल जीता है क्योंकि एक ऐसा काम किया जो इंसान भी बमुश्किल कर पाते हैं. मगावा (चू)हे ने ने दक्षिण पूर्व एशियाई देश कंबोडिया में 15 लाख वर्ग फीट के इलाके को बारूदी सुरंगों से मुक्त बनाने में मदद की. यह बारूदी सुरंगें 1970 और 1980 के दशक की थीं सिर्फ बारुदी सुरंग ही नहीं बल्कि भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री का भी पता लगाया। चूहे की इस सफलता के बाद दुनिया भर में उसकी वाहावाही हो रही है। चूहे की इस बहादुरी के लिए उसे गोल्ड मेडल से भी नवाजा गया है।,
इस चूहे का नाम मगावा है। चूहे को पीडीएसए गोल्ड मेडल से नवाजा गया है। यह मेडल पशुओं को बहादुरी के लिए दिया जाता है। मगावा चूहे ने 39 से ज्यादा बारुदी सुरंग और अन्य विस्फोटक सामग्री का पता लगाया।बारूदी सुरंग कहां है इस बात का पता चलने पर वह जमीन को खोदना शुरू कर देता है। चूहे मगावा को बेल्जियम के एक गैर लाभकारी संगठन एपोपो ने उसे ट्रेनिंग दे कर तैयार कियाहै। वह टेनिस कोर्ट जितने बड़े मैदान को जांचने में महज 20 मिनट का समय लेता है। आपको बता दें कि इस चूहे ने कंबोडिया में बारुदी सुरंगें हटाने में सहायता की थी। मागावा ने दक्षिण पूर्व एशियाई देश कंबोडिया में 15 लाख वर्ग फीट (फुटबॉल के 20 मैदान जितने) के इलाके को बारुदी सुरंगों का पता लगाने में मदद की।बता दें कि, चूहों को सिखाया जाता है कि विस्फोटकों में कैसे रासायनिक तत्वों को पता लगाना है और बेकार पड़ी धातु को अनदेखा करना है. इसका मतलब है कि वे जल्दी से बारूदी सुरंगों का पता लगा सकते हैं. एक बार उन्हें विस्फोटक मिल जाए, तो फिर वे अपने इंसानी साथियों को उसके बारे में सचेत कर देते हैं.सके बाद इन चूहों का इस्तेमाल इस तरह की सुरंग का पता लगाने के लिए किया जाता है। एक बार उन्हें विस्फोटक मिल जाए तो फिर वे अपने इंसानी साथियों को उसके बारे में सचेत करते हैं। इस चूहे का वजन सिर्फ 1.2 किलो है और वह 70 सेंटीमीटर लंबा है।..