
ये है दुनिया का सबसे ठंडा गांव, -50 -70 डिग्री में स्कूल जाते हैं बच्चे,
ठंड होते ही हम अपने लाइफस्टाइल में थोड़ा बदलाव कर लेते हैं. घर से कहीं बाहर जाते वक्त तो हमें लगता है कि जितने ज्यादा गर्म कपड़े पहनकर खुद को ठंड से बचाया जाए, लेकिन हमें फिर भी ठंड महसूस होती रहती है.दुनिया में एक गांव ऐसा भी है, जो चाहे ठंड से निपटने के लिए कितने भी जतन क्यों न कर ले लेकिन वहां लोगों की पलकें और बाल ठंड में जम ही जाते हैं.मगर क्या आप जानते हैं कि दुनिया में एक ऐसा गांव है जहां का न्यूनतम तापमान -71 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाता है?हम बात कर रहे हैं रूस (Russia) के साइबेरिया (Siberia) के गांव ओम्याकोन (Oymyakon) की. ठंड में यहां लोगों का हाल बेहाल हो जाता है. यहां ठंड का आलम ये होता है कि यहां कोई भी फसल नहीं उगती है. लोग अधिकतर मांस खाकर जिंदा रहते हैं.बर्फ की चादर ओढ़े इस गांव में दूर-दूर तक कहीं हरा मैदान नहीं दिखता. अब आपको ये भी बता दें कि ओइमाकॉन का मतलब होता है, ऐसी जगह जहां पानी न जमता हो, मगर प्रकृति की लीला देखिये कि यहां पानी तो पानी, बल्कि आदमी भी जम जाए.यहां पर इतनी ठंड होने की वजह से आजकल लोगों का रोजमर्रा का काम ठप्प पड़ा हुआ है. लोगों को कई तरह की मुश्किल का सामना करना पड़ता है. गाड़ियों की बैट्री ना जमे इस वजह से गाड़ियों को हर वक्त स्टार्ट किए रहना पड़ता है. यहां के लोग अलग-अलग तरह के मांस खाते हैं. यहां रेंडियर और घोड़े के मास के अलावा लोग स्ट्रोगनीना मछली का खूब सेवन करते हैं. जून-जुलाई में जब दुनिया के कई हिस्सों में भयंकर गर्मी पड़ती है, तब यहां का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस होता है.